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सभी को हसरतें मिलती जहाँ पर / अंजनी कुमार सुमन

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सभी को हसरतें मिलती जहाँ पर
बड़ी मुश्किल से पहुँचे हैं वहाँ पर

यहाँ भी दलदली दुष्वारियाँ हैं
बताओ पाँव फिर रक्खे कहाँ पर

करूँगा जब सजावट देख लेना
अभी तो सब जहाँ का है तहाँ पर

बनी अब तक नहीं है बात मेरी
कहा दिलदार ने हर बार हाँ पर

ठहाकों में रहा मौजूद वह भी
कभी निकला नहीं है हूँ न हाँ पर