कुछ धुंधली कुछ नम सी यादें
रेत पर बिखरी सीप सी यादें
भोला बचपन भोली शरारत
खट्टी मीठी वाली गोली
कॉपी का वह पिछला पन्ना
लिख लिख मिटती खेल सी यादें
तोहफे का वह मोर पंख
चाॅक ,बोर्ड और छड़ी
कभी अचानक कान पकड़कर
सॉरी सिस्टर कहती यादें
वह कागज का नाव बनाना
संग सड़क पर भींगते जाना
बारिश से गड्ढों में जमे पानी में
छप छप छपाक लगाती यादें
छोटे-छोटे टिफिन के डिब्बे
कभी सिवई कभी हलवे वाली
कभी अचार की उड़ती खुशबू सी
दूर हवा में तैरती यादें
मिट्टी का वह महल बनाना
फूल पत्तियों से उसे सजाना
जुगनू वाला बल्ब लगाकर
उसे देख इतराती यादें
दिन तितली सी उड़ती फिरती
रातें तारों संग गपियाना
छोटे छोटे ख़्वाबों को बुनती
तकिये ले सो जाती यादें
कभी आंसू के दो बूंद टपकाती
कभी हंसी के परचम लाती
बचपन की मीठी दुनिया की
हमको सैर कराती यादें
कुछ धुंधली कुछ नम सी यादें
रेत पर बिखरी सीप सी यादें