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इतिहास का रथ / रणजीत

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आओ! आओ!
आगे बढ़कर इसको खींचो
मुक्त करो, कर सको, अगर तो
दलदल-फँसे हुए पहियों को
अगर नहीं है ऐसी क्षमता
पीछे लगकर इसे धकेलो
वह भी अगर नहीं कर पाओ
इसे थाम कर साथ-साथ ही कदम बढ़ाओ।
पर अगर नहीं आते हो
या आकर भी इसे बढ़ाने में अपनी ताकत नहीं लगाते हो
तो भी यह रुकेगा नहीं
और कोई ले लेगा तुम्हारा रोल
(रिक्तता को प्रकृति पसंद नहीं करती है)
हाँ तुम पिछड़ जाओगे ज़रूर
कुछ देर घिसटोगे साथ साथ
फिर अकेले छूट जाओगे।