मेरा फ़लसफ़ा, मेरे सिद्धान्त
मेरे फ़लसफ़े को नफ़रत का फ़लसफ़ा कहकर
मुँह मत बिचकाओ मेरे दोस्त!
मेरे सिद्धांतों को हिंसा के सिद्धांत बताकर
बदनाम करने की कोशिश न करो!
मेरी योजना को विध्वंसवाद का नाम देकर
नाक भौं मत सिकोड़ो मेरे दोस्त!
मेरे मज़हब पर नास्तिकता का लेबल लगाकर
उसे झुठलाने की कोशिश न करो!
मेरा फ़लसफ़ा प्यार का फ़लसफ़ा है, लेकिन
सच्चे प्यार के लिए
प्यार की राह की रुकावटों से नफ़रत कितनी ज़रूरी है
यह शायद तुम नहीं जानते,
मेरे सिद्धान्त अहिंसा के सिद्धान्त हैं, लेकिन
हमेशा हमेशा के लिए ख़ून का व्यापार ख़त्म करने के लिए
थोड़े से ख़ून का अर्घ्य देना कितना ज़रूरी है
यह शायद तुम नहीं समझते,
मेरी योजनाएँ निर्माण की योजनाएँ हैं लेकिन
हर नवीन निर्माण के लिए
पुरातन का विध्वंस कितना ज़रूरी है
यह शायद तुम नहीं जान पाते,
मेरा धर्म आस्था का धर्म है लेकिन
इन्सानियत में ईमानदार आस्था के लिए
ईश्वरत्व में अनास्था कितनी ज़रूरी है
यह शायद तुम नहीं समझ पाते।
मैं अगर इन्सानियत के दुश्मनों से नफ़रत करता हूँ
तो महज़ इसलिए कि मुझे इन्सानियत से बेहद प्यार है
मेरी नफ़रत मेरे प्यार का ही हिस्सा है, मेरे दोस्त!
मैं अगर किसी बग़ावत की पैरवी करता हूँ
तो महज़ इसलिए कि इन्सानी ख़ून की पवित्रता में मेरा विश्वास है
और उसका अपमान मैं सह नहीं सकता
मेरी हिंसा, मेरी अहिंसा का ही एक रूप है, मेरे दोस्त!
मैं अगर इस व्यवस्था में आग लगाने की योजना बनाता हूँ
तो महज़ इसलिए कि इससे बेहतर व्यवस्था की रचना चाहता हूँ
मेरा ध्वंस, मेरे निर्माण का ही एक अंग है, मेरे दोस्त!
मैं अगर तुम्हारे ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता
तो महज़ इसलिए कि इन्सानियत के अस्तित्व में
मेरा अगाध विश्वास है
और इस विश्वास के बदले मैं
और कोई विश्वास खरीदना नहीं चाहता
मेरी अनास्था, मेरी आस्था का ही एक अंश है, मेरे दोस्त!
मेरे फ़लसफ़े को नफ़रत का फ़लसफ़ा कहकर
मुँह मत बिचकाओ मेरे दोस्त!
मेरे सिद्धांतों को हिंसा के सिद्धांत बताकर
बदनाम करने की कोशिश न करो!