पेड़ को कभी नहीं आये सपनें
मेज़
कुर्सी
खिड़की
दरवाज़े के
लेकिन मेरे सपनों के दरवाज़े पर
रोज़ आ-घिरती हैं
उनके अतीत की
उदास-उदास वल्कल-छायाऐं॥
पेड़ को कभी नहीं आये सपनें
मेज़
कुर्सी
खिड़की
दरवाज़े के
लेकिन मेरे सपनों के दरवाज़े पर
रोज़ आ-घिरती हैं
उनके अतीत की
उदास-उदास वल्कल-छायाऐं॥