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पीड़ा / जया आनंद

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छलनी करती है
हृदय को
और छलकती है
आंखों से,
शुद्ध करती है
आत्मा को,
पर कभी-कभी
बौद्धिक विलास के साथ
'प्रदर्शन' भी बन जाती है!