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अपनी कमीज़ / यूलिया मोरकिना / अनिल जनविजय

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अपनी कमीज़ दिल के क़रीब होती है
(यानी अपना स्वार्थ ज़्यादा महत्व रखता है)
और शरीर के क़रीब होते हैं शहर।

और क्या उन सालों का कोई नामोनिशान भी
बाक़ी है,
जिनसे मैं घृणा करती हूँ ?

जली हुई चक्की के दो पाट
दोपहर की धूप में भी
घूमते रहते हैं ज्यों लगातार ।

और क्या कोई दूसरा शब्द भी है
’मदद’ माँगने के लिए ?

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Юлия Моркина
            Своя рубашка...

Своя рубашка к сердцу ближе,
И к телу ближе города.

И существуют ли года,
Которые я ненавижу?

Сгоревшей мельницы круги
В кругу полуденного зноя.

И существует ли другое,
Другое слово «помоги»?

2020