Last modified on 13 अगस्त 2023, at 12:50

हांडी / गौरीशंकर प्रजापत

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:50, 13 अगस्त 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मा, जद ई राखै
चूल्है माथै हांडी
सगळा भेळा हो जावां
भाई आंगणै में
सूंघ’र नूंवै धान री सोरम।
बापू राख दी
हांडी अड़वै माथै देख’र
उडगी चिड़कल्यां
छोड’र सिट्टा
चौफाळिया होयग्या
हिरण देख’र हांडी नैं।
मा, हांडी नै टांग दी
चौरायै माथै
भेळा होयग्या लूटण नै नवनीत
बाळ गोपाळ।
बापू
हांडी नैं मेल दी
चौरायै विचाळै
देख’र बदळ लियो मारग
आखै जनमानस।
मा, हांडी मांय
सिळगाई थेपड़ी
धुंवै सूं भागग्या
सगळा भूत घर रा।
बापू, सिळगाई घर रै बारै
हांडी मांय थेपड़ी
घर मांय मचग्यो कोहराम!