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अमीरी / राकेश कुमार पटेल

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आंकड़ों की बाजीगरी से बेहतर होती है
सामने खड़े इंसान की संवेदना
मिट्टी की भीत पर पड़ा छप्पर
इस बात का सबूत है कि तुम
निहायत गरीब और असहाय हो

मैं भी गवाह हूँ तुम्हारी दीनता का
लेकिन तुम यह साबित करने में
नाकाम हुए हो कि तुम गरीब हो
और मैं मजबूर हूँ कि मेरी संवेदना
कुछ नहीं है आंकड़ों के सामने
और अभी तुम्हें अमीरों की तरह
इसी झोपड़ी में आराम से रहना होगा!