236
उऋण कभी होना नहीं, मुझ पर बहुत उधार।
कभी चुकाए ना चुके, इतना तेरा प्यार।।
237
जीवन में मुझको मिले, केवल तेरा प्यार।
जग में फिर इससे बड़ा कोई ना उपहार।।
238
श्वास -श्वास प्रतिपल करे, इतना सा आख्यान।
जीवन में हरदम मिले, तुम्हें प्यार सम्मान।।
239
जीवन में बस तुम मिलो, मुझको तो हर बार।
इससे बढ़कर कुछ नहीं, इस जग का उपहार।।