Last modified on 17 नवम्बर 2008, at 19:33

धूल / अरविन्द अवस्थी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:33, 17 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द अवस्थी |संग्रह= }} <Poem> कल तक पैरों के नीचे ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कल तक
पैरों के नीचे
जीवन तलाशती धूल
जाग उठी
पाकर हवा का स्पर्श
चढ़ गई धरती से
आसमान तक
फैल गया
धूल का अपना संसार
बंद हो गई
घूरती आँखें
उसका सामना करने के
डर से