Last modified on 28 अक्टूबर 2023, at 12:04

जाड़ा आया / प्रियंका गुप्ता

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 28 अक्टूबर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रियंका गुप्ता }} Category:बाल-कविताए...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जाड़ा आया, जाड़ा आया
आते उसने हुकुम चलाया
मफ़लर, स्वेटर, कोट निकालो
साथ रजा‌ई शाल भी ला‌ओ

जाड़ा आया, जाड़ा आया
मूँगफली का मौसम लाया
कुल्फ़ी-आ‌इस्क्रीम ग‌ए सब
न‌ए-न‌ए पकवान हु‌ए अब

जाड़ा आया, जाड़ा आया
घर में न‌ई व्यवस्था लाया
दादा बैठे ओढ़ रजा‌ई
बबलू बैठा ओढ़ दुला‌ई

जाड़ा आया, जाड़ा आया
मम्मी बोली ऊधम लाया
पापा कहते यह लो भा‌ई
अब तो रोज बदलनी टा‌ई

-0-