Last modified on 8 दिसम्बर 2023, at 21:45

मजूर / विहाग वैभव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:45, 8 दिसम्बर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विहाग वैभव |अनुवादक= |संग्रह=मोर्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब पसीना
उसकी जीभ से आने लगे
और हाथों के छालों से
मेहरा जाए फरसे की बेंट

फिर भी वो चलता रहे
चलता ही रहे

तो आप समझ जाएँ

या तो उसका बेटा बीमार है
या बेटी सत्रह पार है ।