Last modified on 12 दिसम्बर 2023, at 20:20

उस्ताद / हरीशचन्द्र पाण्डे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 12 दिसम्बर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीशचन्द्र पाण्डे |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(गुलजार का एक साक्षात्कार देखते हुए)

बात फ़िल्मों से होते हुए राजनीति पर आ गई थी
राजनीति के भी कई दौर आए-गए
और कई नाम भी
गाँधी भी एक नाम था

बोलते ही गाँधी दोनों हाथ कानों को स्पर्श करने लगे
बात राजनीति की ही चल रही थी संगीत की नहीं

चलो, अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है

संगीत की ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है राजनीति को भी
बस, उस्ताद चाहिए ।