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1947 / महेश नेनवाणी

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उस दिन
बिजली गिरी थी
जिस के उजाले में
उस के हाथ का छुरा चमका
और वह चमक
उस के भयानक मुख पर पड़ी
वह काला, नंगा और आदमख़ोर इतिहास था
उस ने मुझे बालों से पकड़ पूछा
"हिन्दू या मुसलमान?"

उस ने मुझे
परिवार के सभी सदस्यों के साथ
घर से निकाल
बाहर फेंक दिया
और द्वार बंद कर दिया
अब मैं कुंडियाँ खड़का कर
चिल्ला रहा हूँ
"इतिहास, सुन
मैं सिन्ध का हूँ
मैं सिन्धी हूँ
और सिन्धी
हिन्दू हो सकता है
और मुसलमान भी"

सिन्धी से अनुवाद : मोहिणी हिंगोराणी