वो भी साबुत बचा नहीं होता।
रब अगर लापता नहीं होता।
झूठ ने इस क़दर पिला दी मय,
पाँव पर सच खड़ा नहीं होता।
ताज को छू के मौलवी कह दे,
पत्थरों में ख़ुदा नहीं होता।
नूर सूरज से छीन लेता है,
पेड़ यूँ ही हरा नहीं होता।
लूट लेता है फूल को काँटा,
आज दुनिया में क्या नहीं होता।