जीवन का पूर्वानुमान कहता है
बीता हुआ कल वापस आएगा
और मेरे दामन में
तेरे दुःख के मोती फिर
आ कर टाँक जाएँगे
एक बार फिर तुम अपनी माफ़ी का
पैबंद लगाओगे
एक बार फिर तुम्हारे प्रेम के धागे
मेरी उँगलियों से उलझ जाएँगे
पर कठिन है एक बार फिर से
यकीन करना वादों को निभाना
प्रश्न मन में बड़े विकट हैं
तुम्हारा कबुल करना
अपने से मेरे सच को मान लेना
क्या ये विश्वास सबल और स्थिर है
या रात के इस दो पहर की परछाई भर ।