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पैरों में है थकन भरी हलकान जान है / अर्चना जौहरी

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पैरों में है थकन भरी हलकान जान है
मीलों का है सफ़र जहाँ मेरा मकान है

चेहरा हरेक अजनबी पथरीले रास्ते
बस धूप है न छांव का नामो-निशान है

पर कट चुके हैं कबके मिरे उड़ न पा रही
अब भी मेरी नज़र में मगर आसमान है

अब सच कहूँ तो एक मैं ही हूँ, मेरे लिए
वरना तो साथ हैं सभी दुनिया जहान है

टूटी ज़रूर पर नहीं हारूँगी मैं कभी
मुझको मेरे वजूद पर अब भी गुमान है