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नहीं लिखने देती कविता आज / सुरजीत पातर / योजना रावत

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नहीं लिखते देती कविता आज
भीतरी आग
जलाती है पन्ने
एक-एक करके

नहीं चाहिए मुझे कविता
कहती है आग

चाहिए मुझे तेरी छाती
दहकने के लिए