Last modified on 27 जुलाई 2024, at 20:39

कवि / राजेश अरोड़ा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:39, 27 जुलाई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश अरोड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सूरज! बहुत आग है तुम में
और मैं नहीं चाहता सूरज होना
क्योंकि झुलस जायेंगे
पंछियों के पंख
मैं बादल ही भला
भिगो दूँ सब को बाहर भीतर