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अग्लो / गोपी सापकोटा

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अग्लो हुनु
धेरै अग्लो हुनु
अभिशाप रहेछ !

अग्लो, धेरै अग्लो भइसकेपछि
अझ अग्लो हुने ठाउँ नहुँदो रहेछ !
अग्लो, धेरै अग्लो भइसकेपछि
पुनः होचो बन्न नसकिँदो रहेछ !

आजका अनुभूति हुन् यी मेरा
अग्लो हुनु
धेरै अग्लो हुनु
अभिशाप रहेछ !!

०००