इस अजीब से कुबड़े क़ब्रिस्तान में
क़बरें भी अजीब और कुबड़ी हैं
मैंने क़ब्रिस्तान के रखवाले से पूछा —
कौन-कौन दफ़्न है यहाँ ?
उसने जवाब दिया
यह है कुबड़ों का क़ब्रिस्तान
जो कुबड़े हुए इसलिए
क्योंकि उन्होंने कुबड़ा जीवन जिया
या यूँ कहें कि वे मरे
इतिहास के एक कुबड़े मोड़ पर
मैंने कहा —
क्या क़ब्र ने भी
उनका कुबड़ापन दूर नहीं किया ?
पर रखवाले ने कोई जवाब नहीं दिया
उसने पीठ कर ली मेरी तरफ़
मैंने देखा —
वह रखवाला भी
कुबड़ा है।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Вячеслав Куприянов
Горбатое кладбище
На этом странном кладбище
Были такие странные горбатые
Могилы, и я спросил у сторожа
Кто здесь похоронен, и он
Мне ответил, похоронены здесь
Горбатые, ставшие такими оттого
Что жили, вернее умирали
На крутом повороте истории
Я спросил, не исправила ли их
Могила, но сторож на это
Ничего не ответил и повернулся
Спиной ко мне, и я мог заметить
Что он тоже горбат.