Last modified on 19 सितम्बर 2024, at 20:58

गुरु महिमा / विश्राम राठोड़

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:58, 19 सितम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्राम राठोड़ |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बना स्याही सागर पानी लिखूं, लिखूँ लेखनी बना वृक्ष अनेक
मेरे गुरु की महिमा वहाँ तक है जहाँ तक है एक छोर धरती दूसरा है आकाश अनेक
सात रंगों-सी इस धरती पर हम तो आज भी है अवशेष
गुरूओं के कद को तो देवता भी नमन करते हैं
तभी तो गुरु ही सम रूप हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश