Last modified on 16 अक्टूबर 2024, at 00:02

इजोरिया बचा के राखब / दीपा मिश्रा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 16 अक्टूबर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपा मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमरा बूझल अछि जे
पूर्णिमाक ओहि पूर्ण चन्द्रकेँ
हम कहिओ नहि छू सकब
हमर भागमे त' रहि रहिके
अन्हरिया लिख देल जाइए
हम ओहि स्याह रातिमे डिबिया ज़रा इजोतक आस करैत कोठरीके निमुन्न केने बैसल रहैत छी
आ नहि जानि कोनाके बसातक झोंक जंगलाक कौन दोग बाटे घुसिके
ओकरो मिझा दैये
हम हारि मानि नै खाइत छी
हमरो चौल सुझैये
बेर बेर डिबिया जरबैत छी
भाग ओकरा सब बेर फूइकके कतौ बिला जाइए
खेल चलैत रहैये
खापड़क खटपट हमरा चेतबैये
बुझाइए जेना बिलाड़ि कोनो कपोतक बच्चाकेँ चांपि लेलक
हमरा गरामे तीव्र दर्द होइए
एकटा छटपटाहटि शान्त भऽ चुकल
केवाड़क सांकल खोलि हम बाहर दालानमे जाइत छी
मेघाच्छादित अकास हमर मुँह दुसैये
अपन काँपैत छाती पर हाथ धरि हम एतबे कहैत छी
थोड़ेक इजोरिया हमरा लेल बचा के राखब
हँ,थोड़ेक इजोरिया बचा के राखब