कुछ अरसे से
मुझे साँस लेने में
दिक़्क़त हो रही थी
और बेचैनी
किसी भारी शिला-सी
आ बैठी थी मेरी सीने पर
कि एक दिन अचानक
मेरी छठी इन्द्रिय ने
कर दी भविष्यवाणी —
यदि बचना है तो भागो :
खुली हवा की ओर
साफ़ पानी की ओर
थोड़े-से दिखते
नीले आकाश की ओर
ज़रा से बचे हुए
हरे जंगल की ओर
बच्चों की निश्छल
मुस्कान की ओर
हर उस चीज़ की ओर
जो बची हुई है अभी
अपनी मासूम निष्कलंकता में
क्योंकि जल्दी ही यह सब
प्रदूषित और विलुप्त हो जाएगा