आकाश के थाल में
तारों के झिलमिलाते दीप रखकर
उतारो मेरी आरती
दूध मोंगरा का सफ़ेद फूल
धरो मेरे सिर पर
गुलाल से रंगे सोनामासुरी से
लगाओ मेरे माथ पर टीका
सरई के दोने में भरे
कामधेनु के दूध से जुटःआरो मेरा मुँह
कि नहीं आई
कोई सनसनाती गोली मेरे सीने में
कि नहीं भोंका गया मुझे छुरा
कि नहीं जलाया गया मेरा घर
कि वर्ष भर जीवित रहा मैं ।