Last modified on 25 नवम्बर 2008, at 07:14

जन्मदिन / एकांत श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:14, 25 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=मिट्टी से कहूंगा धन्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आकाश के थाल में
तारों के झिलमिलाते दीप रखकर
उतारो मेरी आरती

दूध मोंगरा का सफ़ेद फूल
धरो मेरे सिर पर
गुलाल से रंगे सोनामासुरी से
लगाओ मेरे माथ पर टीका
सरई के दोने में भरे
कामधेनु के दूध से जुटःआरो मेरा मुँह

कि नहीं आई
कोई सनसनाती गोली मेरे सीने में
कि नहीं भोंका गया मुझे छुरा
कि नहीं जलाया गया मेरा घर
कि वर्ष भर जीवित रहा मैं ।