Last modified on 23 मार्च 2025, at 10:30

वामन अवतार / संतोष श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:30, 23 मार्च 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उनके हौसले बुलंद हैं
वे वामन अवतार की तरह
तीन पग में
धरती नाप लेना चाहते हैं
जहाँ सिर्फ़ और सिर्फ
वे ही हों
उन्हें विपक्ष की आदत नहीं
एकतंत्र को लोकतंत्र बताकर
जनता को बैसाखियाँ
पकड़ा रहे हैं

सीधा-सा गणित है
मोर्चे तान दो
शक्तिहीन कर दो
प्यासे को भरोसा दो
नदी शीघ्र आएगी पास
हमें नदी को लाने का
रास्ता तो बनाने दो

मगर जनता उन्हें
देख नहीं पा रही है
सच के आईने पर
झूठ की धूल है

उन तक पहुँचने का
रास्ता कंटकाकीर्ण है
नुकीले औजारों के
सख्त पहरे हैं
और जनता की
आवाज पर ताले हैं
जिस की चाबियाँ वे
समुद्र में फेंक चुके हैं