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लौटना / निर्मल आनन्द

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चिलचिलाती धूप में
कहाँ से लौट रहे हो, दोस्त!
नंगे पाँव, झुलसा चेहरा लिए

लो ठंडा पानी पियो

कहाँ थे इतने दिन, क्या किया
बढ़ गई है दाढ़ी
आँखें धँस गई हैं
क्या तुम्हें मालूम है
तुम्हारे जाने के बाद
छोटे भाई-बहन का क्या हुआ?
पिता को मार गया लकवा
और माँ जीवित है
दूसरों के झूठे बर्तन माँजकर
कि
एक दिन लौटोगे तुम
घर की गिरती दीवारों को थामने ।