Last modified on 14 दिसम्बर 2008, at 09:38

भ्रम / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:38, 14 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह= }} <Poem> एक बहुत बड़...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक बहुत बड़ा भ्रम
बन गया है मेरा विश्वास
नश्वर हूँ फिर भी
रोज़-रोज़ करता हूँ
अमरत्व के प्रयास।