Last modified on 14 दिसम्बर 2008, at 09:46

पंक्ति में / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:46, 14 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह= }} <Poem> इसके पहले क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इसके पहले कि बर्फ़ पिघले
और फागुनी हवाएँ
चीड़ों से
हमारे होने का अर्थ पूछें
हमें लौट जाना चाहिए
आदमियों की पंक्ति में