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सांटो रे / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात


जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे
जो रे कीका थने कड़ा खंगाली चावे

नानाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे
कीका गूँज गली को भावे।

तो नानीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया सांटो रे
कीका गूँज गली को भावे।

जा रे कीका थने झगल्यो टोपी चावे
जा रे कीका थने रजई गादी चावे तो

मामाजी री मामीजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया
सांटो रे कीका गूँज गली को भावे।

जो रे कीका चावे रेसम डोरी पालणो
तो भुवाजी री गोद्याँ खेल रे हालरीया
सांटो रे कीका गूँज... गली को भावे।

बच्चों की ज़रूरत वाली चीज़ों के नाम जोड़ते-जोड़ते यह गीत लम्बा होता चला जाता है।