माना ऊँची
बहुत ऊँची
बन रही हैं इमारतें
आसमान को छूती हुई
लेकिन हरेक की
नींव रखने के साथ ही
मिट्टी में धँसी हुई
आस-पास उगी है
अनेक झुग्गियाँ
जिनके बिना
कुछ भी नहीं
ये इमारतें।
माना ऊँची
बहुत ऊँची
बन रही हैं इमारतें
आसमान को छूती हुई
लेकिन हरेक की
नींव रखने के साथ ही
मिट्टी में धँसी हुई
आस-पास उगी है
अनेक झुग्गियाँ
जिनके बिना
कुछ भी नहीं
ये इमारतें।