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सदस्य वार्ता:Dr.bhawna

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आदरणीय डा० भावना जी!

विनम्र निवेदन यह है कि अब कविता-कोश ने एक और सुविधा अपने सभी सदस्यों के लिए उपलब्ध कराई है। वे सब लोग जो कविता-कोश में रचनाएँ जोड़ते हैं उन्हें अब दो कविता पंक्तियों के बीच < 'br' > का निशान लगाने या एक पंक्ति की जगह खाली छोड़ कर फिर अगली पंक्ति टाईप करने की ज़रूरत नहीं है। आप कविता की पहली पंक्ति टाईप करने से पहले '

' लिख दें और फिर सहज रूप से कविता की पंक्तियों में बिना कोई गैप दिए कविता टाईप कर दें। कविता की पंक्तियाँ स्वाभाविक रूप से अपने आप ही अलग-अलग दिखाई देंगी।
'चांद' और 'चाँद' में से कौन सी वर्तनी ठीक है? क्या आप ठीक वर्तनी चुन कर उसका नियम मुझे बता सकेंगी? मैं बेहद आभारी रहूंगा।
राजेश जोशी जैसे कवियों ने तो इस बारे में एक कविता भी लिखी है। उनका नया कविता-संग्रह भी आया है अभी -'चाँद की वर्तनी'।
लेकिन कविता से और कविता-संग्रह से न तो नियम ही बनता है और न इस तरह का कोई तर्क ही सामने आता है कि 'चाँद' क्यों ठीक है।
चांद अगर 'चाँद' लिखा जाएगा तो मांद, मंत्र, मंदिर, मंथरा, द्वंद, गंध, गंधर्व आदि में भी अनुनासिक या चन्द्रबिन्दु आना चाहिए। क्या हिन्दी व्याकरण के नियमों से चांद को 'चाँद' लिखना ठीक है?
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ।
सादर
अनिल जनविजय