Last modified on 5 जनवरी 2009, at 14:07

धरती / शरद बिलौरे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 5 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद बिलौरे |संग्रह=तय तो यही हुआ था / शरद बिलौरे }...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दो बरस की नीलू
आसमान तकती है
पापा से कहती है
पापा मुझे आसमान चाहिए।

पापा ने कभी आसमान जैसी चीज़
अपने बाप से नहीं माँगी
एक बार तारे ज़रूर मांगे थे।

पापा डरे हुए हैं सोचते हैं
मैं धरती पर खेल कर बड़ा हुआ
क्या नीलू आसमान ताककर बड़ी होगी
और यह
कि मैंने अपने बाप से और
नीलू ने मुझसे
धरती क्यों नहीं माँगी

क्या सचमुच धरती
बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं !