Last modified on 7 जनवरी 2009, at 13:51

मकान / विजयदेव नारायण साही

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 7 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजयदेव नारायण साही |संग्रह=साखी / विजयदेव नारा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धीरे-धीरे यह मकान गिर रहा है
आज रात ऊपर से एक ईंट गिरी
खड़खड़ाहट की ध्वनि
मुझे डरा गई ।