वहीं का टिकट माँग बैठता हूँ कई बार
वहीं होकर
और टिकट काटने वाला भी चौंकता नहीं
न घूरता न हँसता
जहाँ होता है आदमी
वहाँ भी
आना होता है कई-कई बार
नये सिरे से !
वहीं का टिकट माँग बैठता हूँ कई बार
वहीं होकर
और टिकट काटने वाला भी चौंकता नहीं
न घूरता न हँसता
जहाँ होता है आदमी
वहाँ भी
आना होता है कई-कई बार
नये सिरे से !