Last modified on 12 जनवरी 2009, at 03:58

हातो पहाड़ / श्रीनिवास श्रीकांत

KKGlobal}}


हातो* पहाड़


कल

इनके नीचे से गुजरते हुए

यह लगा

ये ताशघरों की तरह अभी

भड़भड़ा कर गिर जाएँगी


गत वर्ष

आया था भूकम्प

हिली थी धरती

और तब लगा था

कि ये अपनी कायनात समेत

हो जाएँगी ढेर

इनके नीचे दब जाएँगी

जाने कितनी नियतियाँ

मुस्कुराहटें

जिजीविषाएँ


ये इमारतें नहीं

नागफनियाँ हैं

कंकरीट की

हातो पहाड़ की पीठ पर


अव्यक्त मृत्यु को ढो रही हैं ये

डिब्बीनुमा

मधुछत्तों सी हवेलियाँ

जिनमें पंखहीन

मानुष-मक्खियाँ

जमा कर रहीं

सपनों का शहद

और होती हैं खुश।

  • हातो- कश्मीरी कुली