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ओ दिलरुबा / ध्रुव शुक्ल

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ओ दिलरुबा
मनसुख मेरा नाम
धाम मन सूबा
जहाँ मेरा पन डूबा
और न कोई
दूऽऽर दूऽऽर तक
दूबा
शहर अजूबा