Last modified on 15 जनवरी 2009, at 11:47

शर्त / सुधीर सक्सेना

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:47, 15 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=बहुत दिनों के बाद / सुधीर ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ममाखियों के घरौंदे में
हाथ डाल
और जान ज़ोख़िम में

लाया हूँ
ढेर सारा शहद

पर एक शर्त है
शहद के बदले में
तुम्हें देना होगा
अपना सारा नमक ।