Last modified on 16 जनवरी 2009, at 03:12

आदमक़द स्त्री / लीलाधर मंडलोई

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:12, 16 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=क्षमायाचना / लीलाधर मंडल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इतनी बार गिरी
इतने आघात

इतनी बार हारी
इतनी चोटें

इतनी बार मृत्यु
इतने जीवन

हर बार वह उठ खड़ी हुई
एक नई स्त्री में

वह निराला की आदमक़द स्त्री