मैं इतनी अधिक सुन्दर
मेरे पीछे इतने
मैं असहाय गंदगी के दलदल में
मैंने कुछ पाने की जगह
नफ़रत की अपने वजूद से और
जब-जब आत्महत्या की कोशिश
हर बार सामने एक बूढ़ी माँ थी
और एक बहन
जो मुझसे अधिक सुन्दर थी
मैं इतनी अधिक सुन्दर
मेरे पीछे इतने
मैं असहाय गंदगी के दलदल में
मैंने कुछ पाने की जगह
नफ़रत की अपने वजूद से और
जब-जब आत्महत्या की कोशिश
हर बार सामने एक बूढ़ी माँ थी
और एक बहन
जो मुझसे अधिक सुन्दर थी