Last modified on 18 जनवरी 2009, at 17:46

वतन / सीमाब अकबराबादी

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:46, 18 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} <poem> जहाँ जाऊँ वतन की य...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
जहाँ जाऊँ वतन की याद मेरे साथ रहती है
निशाते-महफ़िले- आबाद मेरे साथ रहती है


वतन ! प्यारे वतन ! तेरी मुहब्बत जुज़वे ईमाँ है
तू जैसा है,तू जो कुछ है, सुकूने-दिल का सामाँ है

वतन में मुझको जीना है,वतन में मुझको मरना है
वतम पर ज़िन्दगी को एक दिन क़ुरबान करना है




निशाते-महफ़िले-आबाद : भरी महफ़िलों के वैभव