Last modified on 19 जनवरी 2009, at 10:29

अलविदा / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:29, 19 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का |संग्रह= }} <Poem> अगर मैं...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगर मैं मरूँ
तो छज्जा खुला छोड़ देना

बच्चा नारंगी खा रहा है
(छज्जे से मैं उसे देखता हूँ)

किसान हँसिए से बाली काट रहा है
(छज्जे से मैं उसे सुन रहा हूँ)

अगर मैं मरूँ
तो छज्जा खुला छोड़ देना !

अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे