Last modified on 20 जनवरी 2009, at 00:36

आँधी में / तेजी ग्रोवर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:36, 20 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजी ग्रोवर |संग्रह=लो कहा साँबरी / तेजी ग्रोवर ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँधी में
अमरूद ने अपनी सुगन्ध तक फेंक डाली है

उसे पता रहे न रहे
जिसके पास कहानी नहीं थी, अब है
मृत्यु को टरकाने का एक बहाना हवा में है
और मृत्यु की टोह लेने का

मैं भी सुगन्ध के किस चक्रव्यूह में अनिश्चित
कहाँ, कितना इत्यादि
और कैसे निकलूँ हँसी-हँसी में
इस कविता से आख़िरकार