उनमें तुम्हारी चांदनी
और धूप बस गई,
हमको हमारे रात-दिन
शामो-सुब्ह कबूल
तुम आइनों की सीख से
उनके लिए सजो,
ज्यादती कबूल
तुम जिनके जीने की
वजह बनो, बने रहो,
हमको गिने-चुने से पल भी
बाअदब कबूल
यहां कौन किसकी सीपियों का,
मोती हो सका
यहां कौन किसको उम्र भर
क्यों हो सका कबूल ?