सप्ताह की कविता
शीर्षक: जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
रचनाकार: केदारनाथ अग्रवाल
:जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है :तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है :जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है :जो रवि के रथ का घोड़ा है :वह जन मारे नहीं मरेगा :नहीं मरेगा :जो जीवन की आग जला कर आग बना है :फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है :जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है :जो युग के रथ का घोड़ा है :वह जन मारे नहीं मरेगा :नहीं मरेगा