Last modified on 26 जनवरी 2009, at 22:13

सदस्य:Ktheleo

Ktheleo (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:13, 26 जनवरी 2009 का अवतरण

ज़ुबान से जो कही वो बात आम होती है,

खास मसलों पे गुफ्तगू का अंदाज़ और है.


ज़ज़्बात में अल्फ़ाज़ की ज़रूरत ही कहाँ है,

गुफ्तगू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहाँ हूँ.