छोटी-सी गिलहरी
मेरे कमरे में आती है
रोटी खाने के लिए
रख छोड़ता हूँ कमरे में जो रोटी
मैं फ़ालतू समझकर
गिलहरी जानती है कि मैं कमरे मे हूँ
मुझसे डरती है गिलहरी
सम्भल-सम्भल कर आती है
रखती है एक आँख मुझ पर !
ज़रा-सा हिलता हूँ
तो जाती है भाग !
जाने क्या सोचती है गिलहरी मेरे बारे में
नन्हीं-सी गिलहरी
जाने क्यों डरती है मुझसे
रोज़ आती है मेरे कमरे में
रोज़ मुझसे डरती है।