Last modified on 28 जनवरी 2009, at 14:22

मैं-तुम / सरोज परमार

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:22, 28 जनवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)



मैं कहती रही
तुम बहते रहे
कगार ढहते रहे
मैं पीती रही
अंजुरी भर-भर.
तुम कहने लगे
मैं बहने लगी
तुम सरकने लगे
तुम भगने लगे
मैं बिफरती रही
मैं बिखरती रही
सचमुच.