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सदस्य वार्ता:Ktheleo

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दर्द की बूँद हूँ,समंदर होने की दूआयें ना दे.

चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.


वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा,

मुझ से घबरा के,फना होने की बददुआयं न दे.


गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी,

उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.


ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको,

चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न दे.


                           _Kush Sharma
                        (www.sachmein.blogspot.com)